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एम ए सेमेस्टर-1 - गृह विज्ञान - तृतीय प्रश्नपत्र - सामुदायिक विकास एवं प्रसार प्रबन्धन

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :172
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2695
आईएसबीएन :0

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एम ए सेमेस्टर-1 - गृह विज्ञान - तृतीय प्रश्नपत्र - सामुदायिक विकास एवं प्रसार प्रबन्धन

प्रश्न- सीखने और प्रशिक्षण की विधियाँ बताइए। प्रसार शिक्षण सीखने और प्रशिक्षण की कितनी विधियाँ हैं?

उत्तर -

शिक्षण पद्धति एक माध्यम है जिसके द्वारा शिक्षक अपनी बात को विद्यार्थी तक पहुँचाता है। इसके निमित्त एक ऐसा वातावरण तैयार करना होता है जिसमें बात या संदेश का प्रसारण हो सके। विधि रीतियों से लोगों के साथ सम्पर्क स्थापित करके उनका ध्यान आकर्षित करके लोगों में अभिरुचि और आकांक्षा जगायी जाती है कि वे नयी बातो को सीखने के लिए प्रोत्साहित हों। प्रसार शिक्षण में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि लोग काम करके सीखते हैं। यह शिक्षण पद्धति का अर्थ लोगों तक नयी बातों की जानकारी पहुँचाना तथा उन्हें इस बात के लिए प्रेरित करना है कि वे उन जानकारियों (पद्धतियों, सूचनाओं) को अपनाएँ और लाभन्वित हों। प्रसार शिक्षण पद्धति के अन्तर्गत वास्तव में एक ऐसा वातावरण तैयार किया जाता है जिसमें सीखना प्रक्रिया का बढ़ावा मिलता है और प्रभावकारी शिक्षण का आयोजन प्रसारकर्ता कर पाता है।

सीखने और प्रशिक्षण की विधि - सीखना और प्रशिक्षण की विधि का वर्णन निम्नलिखित किया जा रहा है

(1) कक्षा पर आधारित विधि - किसी पाठ्यक्रम के शिक्षण और प्रशिक्षण की एक ऐसी विधि जिसमें प्रशिक्षण के दौरान प्रशिक्षक और प्रशिक्षार्थी (सीखने वाला) भौतिक रूप से एक कक्षा में एक-दूसरे के आमने-सामने होते हैं, उनके बीच किसी विषय पर खुली या शैक्षणिक बातचीत होती है जिससे कि विषय की समझ और संबंधित व्यवहारिक कौशल विकसित हो सके। प्रसार शिक्षा में कैम्प कौशल अध्ययन केन्द्र से जुड़े जिन प्रशिक्षक और प्रशिक्षार्थी को प्रशिक्षक के समक्ष कक्षा के लिए तय किए गए स्थान व समय पर भौतिक रूप से उपस्थित होकर शिक्षण व प्रशिक्षण लेने में सहजता व उपयोगिता महसूस होती है वह प्रसार अध्ययन केन्द्र के द्वारा उपलब्ध करायी गयी अन्य शिक्षण व प्रशिक्षण विधियों का चयन कर उचित व गुणवत्तापूर्ण प्रशिक्षण प्राप्त कर सकते हैं।

इस विधि में सैद्धान्तिक और प्रायोगिक शिक्षण व प्रशिक्षण एक-दूसरे के बाद दिए जा सकते है। यह प्रसार शिक्षण के पाठ्यक्रम के विषय के अनुसार प्रशिक्षण और प्रशिक्षार्थी के बीच साझा समझ के अनुसार तय किया जाता है।

(2) परियोजना पर आधारित विधि - प्रसार शिक्षण की इस विधि में प्रशिक्षण के दौरान प्रशिक्षार्थी अपनी सहमति से प्रसार शिक्षण के अन्तर्गत आने वाले विषय को पाठ्यक्रम के रूप में लेकर खुला व तर्कपूर्ण शैक्षणिक बातचीत के माध्यम से सम्बन्धित विषय की समझ और व्यवहारिक कौशल विकसित करते हैं जिससे के प्रशिक्षण के अन्तर्गत ली गयी परियोजना को प्रशिक्षार्थी (सीखने वाला) सफलतापूर्वक पूरा कर पाए।

इस प्रशिक्षण विधि में वह प्रशिक्षार्थी लाभ पा सकेंगे जिन्हें किसी विशेष प्रशिक्षण को पूरा करने की उपयोगिता महसूस होगी।

इस प्रशिक्षण विधि में प्रशिक्षक और प्रशिक्षार्थी के मध्य आपसी सहमति से तय किए गए स्थान पर भौतिक रूप से या इन्टरनेट सेवा के माध्यम से आमने - समाने होकर सैद्धान्तिक और प्रायोगिक शिक्षण प्रशिक्षण एक-दूसरे के बाद दिए जा सकते हैं। यह प्रसार पाठ्यक्रम के विषय के अनुसार प्रशिक्षक और प्रशिक्षार्थी के बीच साझा समझ से तय किया जा सकता है।

(3) ऑनलाइन प्रशिक्षण विधि यह प्रसार पाठ्यक्रम के शिक्षण की ऐसी विधि है जिसमें प्रशिक्षण के दौरान प्रशिक्षक और प्रशिक्षार्थी भौतिक रूप से एक-दूसरे के आमने सामने नहीं होते है। इन्टरनेट सेवा के माध्यम से आडियो वीडियो और लिखित सन्देश के अर्दान-प्रदान की सेवा का उपयोग कर, अभौतिक रूप से एक-दूसरे के साथ होते हैं। उनके बीच इन्टरनेट के माध्यम से किसी विषय पर स्पष्ट, तर्कपूर्ण शैक्षिक बातचीत और इलेक्ट्रानिक शैक्षिक सन्देश व वस्तुओं का आदन-प्रदान होता है, जिससे कि किसी विषय की समझ और संबंधित व्यवहारिक कौशल विकसित हो सके।

इस विधि को ऐसे विद्यार्थी के लिए प्रयोग करते हैं जो किसी पाठ्यक्रम को ग्रहण या सीखने के लिए नियत स्थान पर जाने में असुविधा होती है और इन्टरनेट से आनलाइन पढ़ने में सुविधा होती है।

इस प्रशिक्षण विधि में सैद्धान्तिक और प्रायोगिक शिक्षण व प्रशिक्षण इन्टरनेट के माध्यम से आडियो विडियो व लिखित सन्देश के आदान-प्रदान से शिक्षक और शिक्षार्थी दोनों ही लाभ पा सकते है। इस माध्यम से सीखना और प्रशिक्षण दोनों ही आसान हो जाते हैं।

(4) आवश्यकता के अनुरूप प्रशिक्षण विधि - यह किसी भी पाठ्यक्रम के शिक्षण और प्रशिक्षण की ऐसी विधि है जिससे प्रशिक्षण के दौरान प्रशिक्षार्थी और प्रशिक्षक द्वारा उचित शैक्षणिक व व्यवसायिक परामर्श के बाद तय किए गए स्थान में समय पर स्पष्ट, तर्कपूर्ण शैक्षणिक बातचीत के माध्यम से सम्बन्धित विषय की समझ और व्यवहारिक कौशल विकसित किया जा सकता है।

यह प्रशिक्षण विधि ऐसे प्रशिक्षार्थी के लिए उपयोग में लायी जाती है जिन्हें अपनी निजी सहजता, आवश्यकता और परिस्थिति के अनुसार किसी विशेष पाठ्यक्रम पर आधारित विशेष प्रशिक्षण प्राप्त करने की आवश्यकता महसूस होती है। ऐसे प्रशिक्षार्थी अध्ययन केन्द्र द्वारा उपलब्ध करायी गयी अन्य शिक्षण व प्रशिक्षण विधियों से "आवश्यतानुरूप प्रशिक्षण विधि" का चयन कर उचित गुणवत्तापूर्ण प्रशिक्षण प्राप्त कर सकते हैं।

(5) एक प्रशिक्षण विधि - प्रसार शिक्षण की इस विधि के अन्तर्गत किसी पाठ्यक्रम जिसमें प्रशिक्षण के दौरान प्रशिक्षक और प्रशिक्षार्थी 1:1 के अनुपात में होते हैं तथा प्रशिक्षार्थी के द्वारा उचित शैक्षणिक व्यवसायिक परामर्श के बाद तय किए गए विशेष पाठ्यक्रम के विषय में आपसी सहमति से तय किए गए स्थान, माध्यम और समय पर स्पष्ट, तर्कपूर्ण शैक्षणिक बातचीत के माध्यम से संबंधित विषय को समझते हुए व्यवहारिक कौशल विकसित करते हैं।

यह प्रशिक्षण विधि प्रसार शिक्षण में ऐसे विद्यार्थियों के लिए उपयोगी होती है जिन्हें सामान्य पाठ्यक्रम, प्रशिक्षण का सामूहिक स्वरूप अन्य के द्वारा निर्धारित समय व स्थान की तुलना में निजी सहजता, आवश्यकता और परिस्थिति के अनुसार किसी विशेष पाठ्यक्रम पर आधारित विशेष प्रशिक्षण प्राप्त करने की आवश्यकता होती है।

( 6 ) कार्यशाला विधि - यह प्रसार शिक्षण की ऐसी विधि है जिसमें प्रशिक्षण के दौरान प्रशिक्षक और प्रशिक्षार्थी आपसी सहमति से किसी विशेष स्थान पर आयोजित कार्यशाला में भाग लेते हैं और किसी विशेष पाठ्यक्रम के संदर्भ में खुली व तर्कपूर्ण शैक्षणिक बातचीत के माध्यम से सैद्धान्तिक व प्रायोगिक प्रशिक्षण प्राप्त करने के अतिरिक्त प्रशिक्षित पाठ्यक्रम पर आधारित अनेक प्रायोजमूलक कार्य करते है। इस प्रकार आयोजित कार्यशाला में भाग लेने वाले प्रशिक्षक और प्रशिक्षार्थी मित्रतापूर्ण सम्बन्ध में क्रियाशीलता के साथ संबंधित विषय की समझ और व्यवहारिक कौशल विकसित करते हैं।

यह प्रशिक्षण विधि ऐसे विद्यार्थियों के लिए उपयोगी है जिन्हें सामान्य पाठ्यक्रम और प्रशिक्षण के परम्परागत स्वरूप के तुलना में अपनी सहजता और विशेष आवश्यकतानुसार किसी विशेष पाठ्यक्रम पर आयोजित विशेष परामर्श, प्रशिक्षण और व्यवहारिक कार्य अनुभव प्राप्त करने की आवश्यकता व उपयोगिता महसूस होती है। ऐसे प्रशिक्षार्थी अध्ययन केन्द्र के द्वारा आयोजित कार्यशाला प्रशिक्षण विधि"का चयन कर उचित गुणवत्तापूर्ण प्रशिक्षण प्राप्त कर सकते हैं।

इस प्रशिक्षण में सैद्धान्तिक और प्रायोगिक शिक्षण-प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद सभी विद्यार्थी / प्रशिक्षार्थी व प्रशिक्षक एक साथ एकल रूप में या छोटे समूह में प्रशिक्षित पाठ्यक्रम पर आधारित अनेक प्रयोजनमूलक कार्य करेंगे तथा इन कार्यों के मध्य किसी व्यवहारिक समस्या या विशेष कर्यानुभव पर आपस में चर्चा करेंगे ताकि सभी एक-दूसरे के अनुभव से क्षेत्र विशेष में व्यवहारिक कौशल सीख सकें।

 

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- प्रसार शिक्षा से आप क्या समझते हैं? प्रसार शिक्षा को परिभाषित कीजिए।
  2. प्रश्न- प्रसार शिक्षा की प्रमुख विशेषताएँ बताइये।
  3. प्रश्न- प्रसार शिक्षा का क्षेत्र समझाइए।
  4. प्रश्न- प्रसार शिक्षा के उद्देश्य बताइये।
  5. प्रश्न- गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा से आप क्या समझते हैं? गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा का क्षेत्र समझाइये।
  6. प्रश्न- गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा के उद्देश्यों का विस्तार से वर्णन कीजिये।
  7. प्रश्न- गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा की विशेषताएँ समझाइये।
  8. प्रश्न- ग्रामीण विकास में गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा का महत्व समझाइये।
  9. प्रश्न- प्रसार शिक्षा, शिक्षण पद्धतियों को प्रभावित करने वाले प्रमुख तत्वों का वर्णन करो।
  10. प्रश्न- प्रसार कार्यकर्त्ता की भूमिका तथा गुणों का वर्णन कीजिए।
  11. प्रश्न- दृश्य-श्रव्य साधन क्या हैं? प्रसार शिक्षा में दृश्य-श्रव्य साधन की भूमिका का वर्णन कीजिए।
  12. प्रश्न- सीखने और प्रशिक्षण की विधियाँ बताइए। प्रसार शिक्षण सीखने और प्रशिक्षण की कितनी विधियाँ हैं?
  13. प्रश्न- अधिगम या सीखने की प्रक्रिया में मीडिया की भूमिका बताइये।
  14. प्रश्न- अधिगम की परिभाषा देते हुए प्रसार अधिगम का महत्व बताइए।
  15. प्रश्न- प्रशिक्षण के प्रकार बताइए।
  16. प्रश्न- प्रसार कार्यकर्त्ता के प्रमुख गुण (विशेषताएँ) बताइये।
  17. प्रश्न- दृश्य-श्रव्य साधनों के उद्देश्य बताइये।
  18. प्रश्न- प्रसार शिक्षा की प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं?
  19. प्रश्न- प्रसार शिक्षा के मूल तत्व बताओं।
  20. प्रश्न- प्रसार शिक्षा के अर्थ एवं आवश्यकता की विवेचना कीजिए।
  21. प्रश्न- श्रव्य दृश्य साधन क्या होते हैं? इनकी सीमाएँ बताइए।
  22. प्रश्न- चार्ट और पोस्टर में अन्तर बताइए।
  23. प्रश्न- शिक्षण अधिगम अथवा सीखने और प्रशिक्षण की प्रक्रिया को समझाइए।
  24. प्रश्न- सीखने की विधियाँ बताइए।
  25. प्रश्न- समेकित बाल विकास सेवा (ICDS) कार्यक्रम को विस्तार से समझाइए।
  26. प्रश्न- महिला सशक्तिकरण से आपका क्या तात्पर्य है? भारत में महिला सशक्तिकरण हेतु क्या प्रयास किए जा रहे हैं?
  27. प्रश्न- स्वच्छ भारत अभियान की विस्तारपूर्वक विवेचना कीजिए। इस अभियान के उद्देश्यों का उल्लेख करें।
  28. प्रश्न- 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' योजना का वर्णन कीजिए।
  29. प्रश्न- उज्जवला योजना पर प्रकाश डालिए।
  30. प्रश्न- प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना का वर्णन कीजिए।
  31. प्रश्न- स्वच्छ भारत अभियान घर प्रकाश डालिए।
  32. प्रश्न- भारत में राष्ट्रीय विस्तारप्रणाली की रूपरेखा को विस्तारपूर्वक समझाइए।
  33. प्रश्न- स्वयं सहायता समूह पर टिप्पणी लिखिए।
  34. प्रश्न- बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना का उद्देश्य बताइये।
  35. प्रश्न- स्वच्छ भारत अभियान पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  36. प्रश्न- उज्जवला योजना के उद्देश्य बताइये।
  37. प्रश्न- नारी शक्ति पुरस्कार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  38. प्रश्न- प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना पर प्रकाश डालिए।
  39. प्रश्न- स्वर्ण जयन्ती ग्राम स्वरोजगार योजना का वर्णन कीजिए।
  40. प्रश्न- स्वर्ण जयन्ती ग्राम स्वरोजगार योजना पर टिप्पणी लिखिए।
  41. प्रश्न- प्रधानमंत्री मातृ वन्दना योजना क्या है? इसके लाभ बताइए।
  42. प्रश्न- श्रीनिकेतन कार्यक्रम के लक्ष्य क्या-क्या थे? संक्षिप्त में समझाइए।
  43. प्रश्न- भारत में प्रसार शिक्षा का विस्तार किस प्रकार हुआ? संक्षिप्त में बताइए।
  44. प्रश्न- महात्मा गाँधी के रचनात्मक कार्यक्रम के लक्ष्य क्या-क्या थे?
  45. प्रश्न- सेवा (SEWA) के कार्यों पर टिप्पणी लिखिए।
  46. प्रश्न- कल्याणकारी कार्यक्रम का अर्थ बताइये। ग्रामीण महिलाओं और बच्चों के लिए बनाये गए कल्याणकारी कार्यक्रमों का वर्णन कीजिए।
  47. प्रश्न- सामुदायिक विकास से आप क्या समझते हैं? सामुदायिक विकास कार्यक्रम की विशेषताएँ बताइये।
  48. प्रश्न- सामुदायिक विकास योजना का क्षेत्र एवं उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।
  49. प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम के उद्देश्यों को विस्तारपूर्वक समझाइए।
  50. प्रश्न- सामुदायिक विकास एवं प्रसार शिक्षा के अन्तर्सम्बन्ध की चर्चा कीजिए।
  51. प्रश्न- सामुदायिक विकास की विधियों को समझाइये।
  52. प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यकर्त्ता की विशेषताएँ एवं कार्य समझाइये।
  53. प्रश्न- सामुदायिक विकास योजना संगठन को विस्तार से समझाइए।
  54. प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम को परिभाषित कीजिए एवं उसके सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
  55. प्रश्न- समुदाय के प्रकार बताइए।
  56. प्रश्न- सामुदायिक विकास की विशेषताएँ बताओ।
  57. प्रश्न- सामुदायिक विकास के मूल तत्व क्या हैं?
  58. प्रश्न- सामुदायिक विकास योजना के अन्तर्गत ग्राम कल्याण हेतु कौन से कार्यक्रम चलाने की व्यवस्था है?
  59. प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम की सफलता हेतु सुझाव दीजिए।
  60. प्रश्न- सामुदायिक विकास योजना की विशेषताएँ बताओ।
  61. प्रश्न- सामुदायिक विकास के सिद्धान्त बताओ।
  62. प्रश्न- सामुदायिक संगठन की आवश्यकता क्यों है?
  63. प्रश्न- कार्यक्रम नियोजन से आप क्या समझते हैं?
  64. प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम क्या है?
  65. प्रश्न- प्रसार प्रबन्धन की परिभाषा, प्रकृति, सिद्धान्त, कार्य क्षेत्र और आवश्यकता बताइए।
  66. प्रश्न- नेतृत्व क्या है? नेतृत्व की परिभाषाएँ दीजिए।
  67. प्रश्न- नेतृत्व के प्रकार बताइए। एक नेता में कौन-कौन से गुण होने चाहिए?
  68. प्रश्न- प्रबंध के कार्यों को संक्षेप में समझाइए।
  69. प्रश्न- प्रसार शिक्षा या विस्तार शिक्षा (Extension education) से आप क्या समझते है, समझाइए।
  70. प्रश्न- प्रसार शिक्षा व प्रबंधन का सम्बन्ध बताइये।
  71. प्रश्न- विस्तार प्रबन्धन से आप क्या समझते हैं?
  72. प्रश्न- विस्तार प्रबन्धन की विशेषताओं को संक्षिप्त में समझाइए।
  73. प्रश्न- प्रसार शिक्षा या विस्तार शिक्षा की आवश्यकता क्यों पड़ती है?
  74. प्रश्न- विस्तार शिक्षा के महत्व को समझाइए।
  75. प्रश्न- विस्तार शिक्षा तथा विस्तार प्रबंध में क्या अन्तर है?

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